बुजुर्ग मरीजों को ठीक करने में कामयाब हो रहे लखनऊ के डॉक्टर

चन्द्रभान यादव कोरोना से पीड़ित बुजुर्ग मरीजों में शुगर और हार्ट संबंधी समस्याएं होने पर खतरा बढ़ जाता है। पर, चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि डायबिटीज और अन्य खतरों को पहले नियंत्रित कर लिया जाए तो रिस्क कम हो जाता है। राजधानी में 60 वर्ष से अधिक उम्र के कोरोना पॉजिटिव मरीजों में कॉम्प्लीकेशन होने के बावजूद उनकी जान बचाने में चिकित्सा संस्थानों के डॉक्टर कामयाब नजर आ रहे हैं। 60 वर्ष से अधिक उम्र के 22 मरीजों में राजधानी में अभी तक सिर्फ एक की मौत हुई। जबकि यहां इलाज करने आए एक श्रावस्ती के मरीज ने दम तोड़ा। दो अन्य मरीज गंभीर तो जरूर हुए, लेकिन सप्ताह भर के अंदर उनकी हालत में सुधार आ गया। केजीएमयू के कोरोना वार्ड में इन दिनों पांच मरीज भर्ती हैं। इनमें से तीन 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और उनमें डायबिटीज की भी समस्या है। दो मरीजों में हार्ट संबंधी समस्या भी है। इनमें एक मरीज को गंभीर अवस्था में कन्नौज से डिस्चार्ज किया गया था। उन्हें हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट संबंधी समस्याएं तो थी हीं शुगर लेवल 400 के आसपास था। उन्हें दो दिन आईसीयू में रखा गया। डॉ. डी. हिमांशु बताते हैं कि जिन तीनों मरीजों में ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की समस्या थी, उन्हें पहले डायबिटीज और ब्लड प्रेशर नियंत्रण संबंधी दवाएं दी गईं। शुगर लेवल और ब्लड प्रेशर नियंत्रित होने के बाद उनकी हालत में सुधार होने लगा। कन्नौज वाले मरीज को भी आईसीयू से हटा दिया गया है। एसजीपीजीआई में भर्ती सदर इलाके के 65 वर्ष वृद्ध में कई तरह की गंभीर समस्याएं थीं। उन्हें चार दिन तक आईसीयू में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया। डायबिटीज नियंत्रित होने के बाद उनकी हालत में सुधार हो गया। एसजीपीजीआई में 60 वर्ष से अधिक उम्र के पांच मरीज हैं। लेकिन अब ऑक्सीजन सपोर्ट पर सिर्फ एक मरीजों को रखा गया है। एसजीपीजीआई के चिकित्सकों का कहना है कि मरीजों की हालत में लगातार सुधार हो रहा है। कमांड हॉस्पिटल में भर्ती कर्नल की उम्र करीब 75 साल और उनकी पत्नी की 73 साल है। कर्नल की पत्नी ऑक्सीजन सपोर्ट पर थीं, लेकिन दो दिन बाद ऑक्सीजन सपोर्ट से हटा दिया गया। कर्नल व उनकी पत्नी की रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है। उम्मीद है कि  अगली रिपोर्ट निगेटिव आते ही डिस्चार्ज कर दी जाएंगी। केजीएमयू के डॉक्टर सुधीर कुमार वर्मा का कहना है कि कोरोना से पीड़ित अधिक उम्र वाले मरीजों में पहले उनके आर्गन को सक्रिय रखने का प्रयास किया जाता है। ऐसी स्थिति में डायबिटीज और ब्लड प्रेशर का नियंत्रित होना जरूरी है। इनके नियंत्रित होने के बाद शरीर के अंग ठीक से काम करते हैं। इसके बाद ही करोना के लिए दी जाने वाली दवाओं के सकारात्मक परिणाम नजर आते हैं।


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